Friday, May 8, 2009

कहने में किसका क्या जाता है?

कहने में किसका क्या जाता है?
चुनाव से पहले गुहार लगी है‘सही’ आदमी को ही वोट दोवो अपराधी न हो, यह गौर करो ।गुहार लगी हैकि यह है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रतंत्र न गड़बड़ाएइसलिए बिलों से बाहर निकलोभाई, इस बार जरूर वोट दो।गाने लिखने-बजाने वाले बरसाती मेंढक भी उचक करआ गए हैं बाहरवो गढ़ रहे हैं गीतया फिर चोरी के काम के लिएकर रहे हैं गानों की चोरीपक्ष के लिए, विपक्ष के लिए, बीच वालों के लिए भी।सज रही है विज्ञापनों की मंडीपोस्टरों के बाजार में गोरपेन की क्रीम-सा निखारलगता है कल रात ही पैदा हो गयाकमाई की फसल काटने लगे हैंतिकड़मी पत्रकार भी।लेकिन जनता बेचारी क्या करेइतने जोकरों के बीचकैसे तय करेकौनसा जोकर उसके लिए ठीक रहेगाकौन है ‘सही’।कह देना आसान हैदेना वोट ‘सही’ आदमी कोलेकिन असल सवाल तो‘सही’ और ‘आदमी’ के बीच ही टंगा हैक्योंकि आदमखोरों की इस बस्ती मेंन ‘सही’ दिखते हैंन ‘आदमी’फिर किसे दिया जाए वोट?